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शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाई जाती है मेहंदी? जानिए इसके पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

लखनऊ: भारतीय शादियों में परंपराओं का विशेष महत्व होता है। हर रस्म न सिर्फ एक सामाजिक परंपरा होती है, बल्कि उसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं भी जुड़ी होती हैं। ऐसी ही एक रस्म है मेहंदी की, जिसे शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन दोनों के हाथों और पैरों पर लगाया जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इस रस्म की शुरुआत क्यों हुई और इसका महत्व क्या है?

धार्मिक मान्यता: सुहाग और सौंदर्य का प्रतीक

हिंदू धर्म में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है और मेहंदी इनमें से एक मानी जाती है। माना जाता है कि मेहंदी न केवल दुल्हन की सुंदरता को निखारती है, बल्कि वह सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक भी है। ऐसा कहा जाता है कि यदि दुल्हन की मेहंदी का रंग गहरा आता है तो उसके वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। कई परिवारों में तो इसे दूल्हे के प्यार का प्रतीक भी माना जाता है।

मेहंदी को लेकर एक और मान्यता है कि उसका रंग जितना चटख होगा, दुल्हन को अपने ससुराल में उतना ही ज्यादा प्यार और सम्मान मिलेगा। यही कारण है कि शादी से पहले पूरे घर में इस रस्म को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

वैज्ञानिक कारण: तनाव कम करती है मेहंदी

मेहंदी न केवल धार्मिक या सौंदर्य से जुड़ी होती है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। शादी के समय दूल्हा-दुल्हन दोनों के मन में उत्साह के साथ-साथ तनाव और घबराहट भी होती है। ऐसे में मेहंदी एक प्राकृतिक ठंडक देने वाला तत्व है, जो शरीर के तापमान को संतुलित करता है। हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाने से शरीर को शांति मिलती है और मानसिक तनाव भी कम होता है।

साथ ही, मेहंदी में एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं जो शादी की भागदौड़ के बीच त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं।

कैसे पाएं मेहंदी का गहरा रंग?

अगर आप चाहते हैं कि आपकी मेहंदी का रंग गहरा और टिकाऊ हो, तो कुछ घरेलू नुस्खे आजमाए जा सकते हैं:

  • मेहंदी के सूखने के बाद उस पर नींबू और चीनी का मिश्रण लगाएं।
  • सरसों के तेल से भी मेहंदी का रंग गहरा किया जा सकता है।
  • तवे पर लौंग रखकर उसका धुआं हाथों को देने से भी रंग और ज्यादा निखरता है।

निष्कर्ष

मेहंदी की रस्म न केवल एक पारंपरिक अनुष्ठान है, बल्कि इसके पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण इसे और भी खास बना देते हैं। यह रस्म जहां एक ओर शादी के उल्लास को बढ़ाती है, वहीं दूसरी ओर मानसिक और शारीरिक रूप से भी वर-वधू को तैयार करती है। यही कारण है कि सदियों से यह परंपरा आज भी हर शादी का अहम हिस्सा बनी हुई है।