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आखिर हाथ में क्यों बांधते हैं कलावा, कितने दिन में बदल देना चाहिए?

लखनऊ: हिंदू धर्म में जब भी कोई पूजा-पाठ या शुभ कार्य होता है, तो आपने लोगों की कलाई पर लाल रंग का धागा बंधा देखा होगा, जिसे मौली या कलावा कहते हैं। ये रक्षा सूत्र बांधना हमारी पुरानी वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ और हवन के दौरान तो इसे बांधने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। पौराणिक ग्रंथों में कलावा को संकल्प लेने और रक्षा के प्रतीक के रूप में बांधने का महत्व बताया गया है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, असुरों के महान दानी राजा बलि को अमरता का वरदान देने के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। यही कारण है कि इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है।

अक्सर ऐसा होता है कि हम कलावा बांध तो लेते हैं, लेकिन फिर उसे उतारना भूल जाते हैं और वह लंबे समय तक हमारी कलाई पर बंधा रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह बंधा कलावा धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा देना बंद कर देता है? इसीलिए शास्त्रों में बताया गया है कि इसे कितने दिनों तक पहनना चाहिए। मान्यता है कि हाथ में कलावा सिर्फ 21 दिनों के लिए ही बांधना चाहिए। आमतौर पर इतने दिनों में कलावे का रंग फीका पड़ने लगता है और हमें कभी भी उतरे हुए रंग का कलावा नहीं पहनना चाहिए।

कलावा पहनने का धार्मिक महत्व:

हाथ में बांधा जाने वाला यह लाल रंग का धागा देवी दुर्गा और हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह भी मान्यता है कि लाल रंग का कलावा पहनने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं।

कलावा से जुड़े अचूक उपाय:

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यदि तुलसी, केला, शमी और आंवला जैसे पूजनीय पौधों को श्रद्धा और विश्वास के साथ कलावा बांधा जाए, तो व्यक्ति के जीवन से जुड़ी परेशानियां जल्दी दूर हो जाती हैं, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

किस दिन बदलना चाहिए कलावा:

हिंदू धर्म में कलावा पहनने और उतारने के लिए कुछ शुभ दिन निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार, कलावा को हमेशा मंगलवार या शनिवार के दिन ही बदलना चाहिए। हालांकि, इसे आप किसी भी पूजा-पाठ के दौरान धारण कर सकते हैं।

ऐसा कलावा मानते हैं अशुभ:

फीका या उतरा हुआ रंग का कलावा बांधना अशुभ माना जाता है। इसलिए, जैसे ही कलावे का रंग उतरने लगे, उसे उतार देना ही उचित है। 21 दिनों के बाद आप किसी भी अच्छे मुहूर्त में अपनी कलाई पर नया कलावा बंधवा सकते हैं। यह भी कहा जाता है कि जब कलावा हाथ से उतारा जाता है, तो वह आपके भीतर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को अपने साथ ले जाता है। इसलिए, उस उतरे हुए कलावे को दोबारा कभी नहीं पहनना चाहिए। हाथ से उतारा हुआ कलावा किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर देना शुभ माना जाता है।

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे केवल सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया गया है।