आप भी पेशाब में जलन या दर्द से हैं परेशान तो आपको हो सकता है UTI, घबराएं नहीं बस…
लखनऊ: यूरिन इन्फेक्शन, या यूटीआई, सामान्य मूत्र संक्रमण है, जो मूत्र पथ (जिसमें गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग शामिल है) के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। यदि संक्रमण मूत्र पथ के निचले भाग पर होता है, तो इसे गुर्दे के संक्रमण या पायलोनेफ्राइटिस कहा जाता है।
इस संक्रमण को लेकर एक तथ्य है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा सबसे अधिक होता है। यदि संक्रमण गुर्दे में फैल जाता है, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
यूरिन इन्फेक्शन (यूटीआई) के प्रकार
यूरीन इंफेक्शन पूरे मूत्र तंत्र के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। उन्हें उनकी स्थिति के आधार पर निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है –
- सिस्टाइटिस या मूत्राशय का संक्रमण: मूत्राशय का संक्रमण सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है। अधिकतर कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को यह संक्रमण प्रभावित करता है। सरल भाषा में कहा जाए तो यह मूत्राशय के भीतर होने वाला बैक्टीरियल संक्रमण है।
- यूरेथ्राइटिस या मूत्रमार्ग संक्रमण: मूत्र मार्ग का संक्रमण भी बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण होता है, जिसमें संक्रमण के कारण रोगी को सूजन का सामना करना पड़ता है। मूत्र त्यागने में दर्द और असुविधा इस प्रकार के संक्रमण का मुख्य लक्षण है।
- पायलोनेफ्राइटिस या गुर्दा संक्रमण: यह एक प्रकार का किडनी इंफेक्शन है, जो एक व्यक्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में रोगी को अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है। इस प्रकार के संक्रमण में बुखार, पेशाब में खून और पेट और जांघों के बीच में दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान यह समस्या बहुत ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है।
यूटीआई होने के लक्षण (Symptoms of UTI)
वैसे तो यूटीआई की समस्या होने से सबसे पहले मूत्र संबंधी समस्याएं होती है,लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं।
-मूत्राशय में संक्रमण होने पर मूत्रमार्ग और मूत्राशय की परत में सूजन आ जाना।
-पेशाब त्याग करते समय दर्द या जलन महसूस होना।
-बार-बार पेशाब करने के लिए उठना और बहुत कम मात्रा में मूत्र त्याग होना।
-एकदम पेशाब हो जाने का डर लगना।
-पेशाब से बदबू आना।
-पेशाब से खून आना।
-पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
-हल्का बुखार आना।
-ठण्ड लगना या कभी-कभी ठण्ड के साथ कंपकंपी लगना।
-जी मिचलाना।
यूटीआई क्यों होता है? (Causes of UTI)
वैसे तो यूटीआई का संक्रमण ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है, लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं जो इस बीमारी के होने की वजह होते हैं-
-विशेषकर यदि संभोग अधिक बार, तीव्र और कई या बहुत लोगों के साथ किया जाये तो यू.टी.आई हो सकता है।
-शुगर के रोगियों को यू.टी.आई होने का खतरा अधिक होता है।
-अस्वच्छ रहने की आदत।
-मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना।
-दस्त आना।
-मूत्र करने में बाधा उत्पन्न होने पर।
-पथरी होने के कारण।
-गर्भनिरोधक का अत्यधिक उपयोग करने से।
-रजोनिवृत्ति काल में।
-कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली होने से।
-एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करने से।
बचाव के उपाय (Prevention):
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भरपूर पानी पिएं – दिन में कम से कम 8–10 गिलास
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पेशाब न रोकें – समय पर पेशाब करें
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साफ-सफाई का ध्यान रखें – विशेषकर जननांग क्षेत्र की
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सही तरीके से साफ करें – महिलाओं को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए
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यौन संबंध के बाद पेशाब करें
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कपास की अंडरवियर पहनें – जिससे नमी न जमे
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बॉडी वॉश या परफ्यूम वाले प्रोडक्ट्स से परहेज करें
यूटीआई का इलाज:
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एंटीबायोटिक दवाएं – डॉक्टर की सलाह पर (जैसे: नाइट्रोफ्यूरांटोइन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, आदि)
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दर्द और जलन के लिए दवा – जैसे कि पेनकिलर या यूरिन अल्कालाईज़र
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पानी की मात्रा बढ़ाएं
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गंभीर मामलों में – अगर संक्रमण किडनी तक पहुंच जाए तो अस्पताल में भर्ती की जरूरत पड़ सकती है
कुछ घरेलू उपाय:
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नींबू पानी या नारियल पानी – शरीर को डिटॉक्स करता है
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ककड़ी, तरबूज, खीरा – मूत्र की मात्रा बढ़ाते हैं
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मेथी के दाने – उबालकर पानी पिएं
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क्रैनबेरी जूस – संक्रमण से बचाव में मददगार (कुछ मामलों में)
कब डॉक्टर से मिलना चाहिए?
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अगर लक्षण 1–2 दिन में ठीक न हों
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बुखार, कमर दर्द, या उल्टी हो
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बार-बार यूटीआई हो
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गर्भवती महिला को यूटीआई के लक्षण हों