अक्षय तृतीया पर क्यों शुरू होती है चारधाम यात्रा? जानें इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
नई दिल्ली: इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पावन दिन से हो रही है। इसी दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चारधाम यात्रा की शुरुआत हर साल अक्षय तृतीया से ही क्यों होती है? आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक और आध्यात्मिक कारण।
क्या है अक्षय तृतीया का अर्थ और महत्व?
अक्षय तृतीया बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। ‘अक्षय’ का अर्थ होता है — जो कभी नष्ट न हो। इस दिन किए गए दान, जप, तप और पूजन का फल अक्षय माना जाता है, यानी इसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
क्यों इस दिन होती है शुभ कार्यों की शुरुआत?
धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है, यानी किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय आदि की शुरुआत को अत्यंत शुभ माना जाता है — और इसी परंपरा के अनुसार चारधाम यात्रा की शुरुआत भी होती है।
चारधाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से क्यों?
चारधाम यात्रा का क्रम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ होता है। यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से इसलिए की जाती है क्योंकि यह यमुना नदी का उद्गम स्थल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज की बहन यमुनाजी के जल में स्नान करने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। यात्रा के प्रारंभ में यमुनोत्री जाने से भक्तों की यात्रा में कोई विघ्न नहीं आता।
धार्मिक ही नहीं, भौगोलिक महत्व भी है
चारधाम भारत के चार भिन्न भौगोलिक दिशाओं में स्थित हैं और यमुनोत्री पश्चिम दिशा में आता है। सनातन परंपरा में यात्रा की शुरुआत पश्चिम से पूर्व की ओर करना शुभ माना गया है। इससे यात्रा सरल और सुविधाजनक हो जाती है।
अक्षय तृतीया 2025 का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया तिथि 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:32 बजे शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे समाप्त होगी। पूजन का शुभ मुहूर्त 30 अप्रैल को सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा। इस दिन गृह प्रवेश, नए कार्य की शुरुआत और खरीदारी के लिए 6 घंटे 37 मिनट का उत्तम समय रहेगा।
क्या खरीदें इस दिन, अगर सोना-चांदी न ले सकें?
अगर इस दिन सोना या चांदी खरीदना संभव न हो, तो धार्मिक मान्यता के अनुसार मिट्टी के बर्तन, कौड़ी, पीली सरसों, हल्दी की गांठ या रूई खरीदना भी अत्यंत शुभ होता है। इसके अलावा, दही, चावल, दूध, और खीर का दान भी अक्षय पुण्य देने वाला माना गया है।