जाने क्यों करते हैं भगवान की परिक्रमा
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान को प्रसन्न करने के कई मार्ग बताए गए हैं। विभिन्न विधियों से ईश्वर की कृपा प्राप्त की जाती है, जिससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख विधि है मंदिर या भगवान की प्रतिमा की परिक्रमा करना। लगभग सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है, पर क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण?
परिक्रमा से प्राप्त होती है दिव्य ऊर्जा
मंदिर में आरती, पूजा, मंत्रोच्चारण और साधना के पश्चात भगवान के विग्रह के चारों ओर दिव्य प्रभा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिव्य ऊर्जा को आत्मसात करने के लिए भक्त परिक्रमा करते हैं। इस प्रक्रिया से भक्त को ज्योतिर्मंडल से निकलने वाले तेज की सहज प्राप्ति होती है।
भिन्न देवी-देवताओं के लिए निर्धारित है परिक्रमा संख्या
शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए परिक्रमा की संख्या भी अलग निर्धारित है:
- श्रीराम भक्त हनुमान और गणपति की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
- भगवान शिव की आधी परिक्रमा करने का विधान है।
- भगवान विष्णु तथा उनके अवतारों की चार परिक्रमा की जाती हैं।
- देवियों की तीन परिक्रमा करना उचित माना गया है।
परिक्रमा के दौरान रखें यह विशेष सावधानियां
परिक्रमा करते समय कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:
- परिक्रमा बीच में रोकनी नहीं चाहिए।
- परिक्रमा वहीं समाप्त करनी चाहिए जहाँ से शुरू की थी।
- परिक्रमा करते समय बातचीत न करें और मन में जिस देवता की परिक्रमा कर रहे हैं, उनका सुमिरन करते रहें।
परिक्रमा की सही विधि
परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले हाथ जोड़कर देवी-देवताओं से प्रार्थना करें। भावपूर्ण नाम-जप करते हुए मध्यम गति से परिक्रमा लगाएं। ध्यान रखें कि गर्भगृह को स्पर्श न करें। देवता की प्रतिमा के पीछे पहुंचने पर रुककर श्रद्धा से नमस्कार करें।